आप में से बहुत से लोगों ने ये सोच रखा होगा कि नये साल में नया मोबाइल फोन
खरीदेंगे, लेकिन अब तक आपको ये भी समझ में आ गया होगा कि आजकल नया फोन
खरीदना भी कोई आसान काम नहीं है. खास तौर पर, अगर आप 'स्मार्टफोन' खरीदने
की सोच रहे हैं तो सही फोन चुनना भी एक चुनौती है. हर बजट में अब इतने
ऑप्शन मौजूद हैं कि तय करना मुश्किल है क्या खरीदा जाए.
एंड्रायड फोन की आजकल सबसे ज्यादा धूम है, लेकिन शोरूम में जाकर देखें
तो सारे फोन लगभग एक जैसे दिखते हैं. सबके फीचर्स भी एक से हैं और हर कंपनी
अपने फोन को सबसे अच्छा बताती है. ऐसे में, आप पूरी तरह प्रचार में किए जा
रहे दावों और सेल्समैन की सलाह के भरोसे विश्वास कर लेते हैं. फोन खरीदते
हैं और बाद में दोस्त का फोन देखकर पछताते हैं कि काश मैंने भी यही खरीदा
होता. तो आज हम आपकी इस मुश्किल को कुछ आसान बनाते हैं. नया स्मार्टफोन
खरीदने के इन नुस्खों पर अमल करेंगे तो बाद में पछताना नहीं पड़ेगा.
सबसे पहला सवाल ये आता है कि ब्लैकबेरी खरीदें, आईफोन खरीदें, नोकिया
लुमिया या फिर एंड्रायड फोन. सबकी अपनी खूबियां और कमियां हैं जिस पर फिर
कभी विस्तार से बात करेंगे. फिलहाल ये नुस्ख़े, खासतौर पर एंड्रायड फोन के
लिए हैं, जो आजकल सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं. लगभग सभी एंड्रायड फोन
टच-स्क्रीन वाले ही होते हैं.
अपनी जरूरत और बजट तय करें.
Advertisement की चमक दमक के
झांसे में न आकर, अपनी जरूरत और बजट का ख्याल रखें. दुनिया में 'सबसे अच्छा
फोन' जैसी कोई चीज है ही नहीं! आज जो 'सबसे हाई टेक' मॉडल है, सालभर में
वही पुराना और 'आउटडेटेट' होकर आधे दाम में मिलेगा. इसलिए उन फीचर्स के लिए
कभी अपना बजट ने बिगड़ने दें जिनका इस्तेमाल आप नहीं करेंगे. अगर आपको
इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करना है तो स्मार्टफोन के बजाए बेसिक फोन खरीदने
की सोचें. पैसे भी बचेंगे, काम भी बेहतर होगा और बैटरी भी खूब चलेगी. अगर
आपको मोबाइल से फोटो लेकर बड़े-बड़े प्रिंट नहीं निकालने हैं तो मेगापिक्सल
के पीछे दीवाने मत हों. अगर आपको फोन पर ज्यादा लिखना होता है, तो टच
स्क्रीन फोन खरीदने से पहले हाथ आज़माकर जरूर देख लें. टच-स्क्रीन पर लिखना
कई लोगों को की-बोर्ड वाले फोन की तुलना में मुश्किल लगता है. सही फोन
चुनने के लिए सबसे पहले ये तय कर लें कि आपका बजट कितना है. सही तुलना तभी
हो सकती है जब मुकाबला एक जैसे कीमत वाले फोन्स के बीच कराया जाए.
साइज- बड़ा है तो बेहतर है.
फोन कितना बड़ा हो इस बारे में
सबकी पसंद अलग-अलग होती है, लेकिन आजकल बड़े फोन का चलन है. कंपनियों के
बीच बड़ी स्क्रीन वाले फोन पेश करने की ऐसी होड़ मची हुई है कि फोन, फैबलेट
और टैबलेट का फर्क ही मिट गया है. आमतौर पर 4.7 इंच से बड़े स्क्रीन वाले
फोन्स को 'बड़ा फोन या फ़ैबलेट' मानते हैं. 4 इंच से 4.7 इंच के स्क्रीन
वाले फोन को मीडियम साइज का, और 4 इंच से कम साइज को 'छोटे फोन' की श्रेणी
में रखा जाता है.
टच-स्क्रीन फोन में, स्क्रीन पर ही आपको लिखना
है और वहीं देखना है. इसलिए बहुत छोटा साइज ठीक नहीं रहता. इसके अलावा,
बड़ी स्क्रीन पर पढ़ना, टाइप करना, फोटो या वीडियो देखना आसान होगा. लेकिन
फोन इतना भी बड़ा नहीं होना चाहिए, जिसे संभालने में मुश्किल हो, या एक हाथ
से पकड़ने में दिक्कत हो. '5 इंच के आसपास' की स्क्रीन साइज हर हिसाब से
बेहतर होती है.
स्क्रीन रिसोल्यूशन - HD का है जमाना.
स्क्रीन की क्वालिटी
परखने के लिए तीन चीजों पर गौर करें. रिसोल्यूशन पीपीआई ( PPI -Pixels per
Inch) और स्क्रीन LCD है या AMOLED. इनका मतलब क्या है इस बात पर ज्यादा
माथापच्ची किये बगैर आप सीधे ये समझ सकते हैं कि रिसोल्यूशन और पीपीआई
(PPI) दोनों जितना ज्यादा हो उतना बेहतर है. ये दोनों चीज जिस फोन में
जितनी ज्यादा होगी, उसकी स्क्रीन उतनी साफ, चमकदार, सुंदर और गहरे रंगों
वाली दिखेगी. स्क्रीन का रिसोल्यूशन ही तय करता है कि वो HD है या नहीं.
इसी तरह अगर LCD और AMOLED स्क्रीन के बीच चुनना हो तो आंख मूंद कर AMOLED
ही चुनें.
गुरिल्ला ग्लास है या नहीं .
स्क्रीन के बारे में एक और बेहद
जरूरी गौर करने की चीज है गुरिल्ला ग्लास (Gorilla Glass). दरअसल, ये एक
खास तरह का ग्लास है जो स्क्रीन के ऊपर लगाया जाता है. दुनिया भर में,
Corning नाम की कंपनी के बनाए इस शीशे का लोहा माना जाता है. गुरिल्ला
ग्लास (Gorilla Glass) अगर आपके फोन में लगा है तो इसका मतलब है कि आपको
स्क्रीन पर खरोंच लगने, आसानी से टूट जाने की चिंता नहीं करनी होगी.
Gorilla Glass 3 इसका सबसे लेटेस्ट Version है. गुलिल्ला ग्लास (Gorilla
Glass) के लिए अगर कुछ रूपए ज्यादा भी खर्च करना पड़े तो कर दें.
एंड्रायड किट कैट है सबसे मीठा ..
एंड्रायड फोन में ये बात काफी
अहम है कि उसमें एंड्रायड सॉफ्टवेयर का कौन सा Version चल रहा है. नए
Version में कई ऐसी खूबियां होती हैं जिसके लिए पुराने Version के साथ फंसे
लोग तरसते रहते हैं. सबसे लेटेस्ट Version का नाम है किटकैट जिसे (4.2.2)
भी कहते हैं. कोशिश करें कि फोन वो खरीदें, जिसमें कम से कम 4.0 या उससे
उपर का Version हो. अगर Android Version 2.3.6 से नीचे का हो तो उसे किसी
भी हालत में नहीं खरीदें. इस मामले में सेल्समैन की बातों में कतई न आएं.
वो हमेशा आपको यही बताएगा कि इस फोन में भी एंड्रायड अपडेट हो सकता है.
लेकिन कई बार आपके फोन में नया अपडेट कभी नहीं होता और कई बार इसके लिए
महीनों का इंतजार करना होता है. सेल्समैन अगर किसी फोन में सॉफ्टवेयर अपडेट
होने का दावा करे तो उसे पूछें कि क्या वो अभी इसे अपडेट करके दिखा सकता
है?
Processor है फोन की जान.
Processor
फोन के लिए वही है जो गाड़ी के लिए इंजन. इसी से तय होता है कि फोन मक्खन
की तरह तेज़ और स्मूथ चलेगा या फिर धीरे धीरे झटका लेकर. Processor के
स्पीड का पता लगाने के लिए देखें की वो कितने गीगाहर्टज का है . जैसे 2.3
GHz का Processor 2.2 GHz से बेहतर हुआ. यानि जितने ज्यादा Gigahertz का
Processor होगा वो उतना तेज होगा. लेकिन आजकल Processor की ताकत का अंदाजा
लगाने का एक और बेहतर तरीका आ गया है, जिसे कहते हैं कि प्रोसेसर कितने कोर
(Core) का है. यहां भी फार्मूला वही है - जितना ज्यादा उतना एडवांस. यानि
Octa core Processor ( आठ Core वाला) सबसे अच्छा हुआ, Quad Core ( चार Core
वाला) उससे नीचे और Dual Core और Single Core सबसे नीचे. एक नजर इस बात पर
भी डालें कि फोन में किस कंपनी का Processor लगा हुआ है.
ज्यातातर
एंड्रायड फोन में आपको Mediatek, Snapdragon, Qualcomm और ARM Cortex जैसी
कंपनियों के Processor दिखेंगे. इनमें Snapdragon और Qualcomm कंपनी के
Processor अच्छे माने जाते हैं. ARM Cortex और Mediatek उसके नीचे हैं.
Snapdragon 800 को फिलहाल सबसे शानदार Processor माना जाता है. बढ़िया और
तेज प्रोसेसर न सिर्फ फोन को तेज चलाते हैं बल्कि फोन की बैटरी पर भी कम
बोझ डालते हैं.
RAM - जितना ज्यादा उतना अच्छा.
आप मान सकते हैं कि RAM काम
करने की वो टेबल है जहां पर रखकर आपका फोन हर काम को निपटाता है. काम करने
के लिए जितनी खुली जगह होगी, फोन का Processor उतनी आसानी से और जल्दी हर
काम को कर सकता है. RAM जितना ज्यादा हो उतना अच्छा. नहीं तो फोन पुराना
होने के बाद आप आए दिन Low Memory का मैसेज देखकर सिर पीटेंगे. 3 GB तक के
RAM वाले फोन तो बाज़ार में आ चुके हैं और 4 GB की तैयारी चल रही है.
लेकिन, कम से कम RAM, 1 GB तो होना ही चाहिए. 512 MB से कम RAM वाला फोन तो
कोई मुफ्त में भी दे तो नहीं लें.
बैटरी जितनी दमदार - फोन उतना शानदार .
स्मार्टफोन खरीदने के
बाद सबसे ज्यादा रोना लोग बैटरी को लेकर ही रोते हैं. सीधी सी बात है, फोन
से आप जो भी काम लेते हैं, सबके लिए बैटरी खर्च होती है . इसलिए बैटरी की
पावर को लेकर समझौता हरगिज़ न करें. ध्यान से देखें कि बैट्री कितने mAh की
है. जितना ज्यादा उतना अच्छा. याद रखें, फोन की स्क्रीन जितनी बड़ी होगी,
उसका रिसोल्यूशन जितना ज्यादा होगा उसको उतनी बैट्री की जरूरत होगी. आजकल
कुछ कंपनियां 4000 mAh तक की बैट्री वाला फोन बना रहीं है जो वाकई शानदार
है. लेकिन जिस फोन की बैट्री 1500 mAh से कम हो, उससे दूर ही रहें तो अच्छा
है.
कैमरा - मेगापिक्सल ही नहीं है सबकुछ.
कंपनियां खरीदारों की
नब्ज़ पहचानती हैं इसलिए सबसे ज्यादा ज़ोर मेगापिक्सल पर देती हैं . लेकिन
सच्चाई ये है कि आपका फोन कितनी अच्छी फोटो लेगा इसमें मेगापिक्सल के अलावा
तमाम ऐसी चीजों का रोल होता है जिसके बारे में ज्यादातर कंपनियां कुछ
बताती ही नहीं. जैसे लेंस और सेंसर की क्वालिटी. इसलिए दुकान में ही फोटो
खींचकर देंखें. खास तौर पर कम लाइट में कैमरा कैसी फोटो ले पाता है. देखें
की कैमरे में ऑटोफोकस है या नहीं. शटर लैग चेक करें. यानि क्लिक करने के
बाद कैमरा फोटो को लेने में, और उसके सेव करने में कितना समय लगाता है.
शटरलैग सस्ते डिजिटल कैमरों की ऐसी लाइलाज बीमारी है जो फोटो खींचने का
मज़ा किरकिरा कर देती है. इस बात पर गौर करें कि कैमरे के साथ फ्लैश के लिए
LED लाइट है या नहीं और अगर है तो उससे कितनी लाइट निकल रही है.
Bloatware- मान न मान, मैं तेरा मेहमान.
ब्लोटवेयर उन फालतू
के apps को कहते हैं जो आपके किसी काम के नहीं हैं लेकिन फोन में पहले से
मौजूद रहते हैं. आप न तो इनको फोन से Uninstall करके हटा सकते हैं न ही
इनको हमेशा के लिए बंद कर सकते हैं. मुसीबत ये है कि आपके किसी काम के नहीं
होने के बावजूद इनमें से कई बैकग्रांउड में चुपचाप चलते रहते हैं. इससे
आपका फोन धीमा होता है और बैट्री खर्च होती रहती है.
Google
Play Store में हजारों बेहतरीन App मु्फ्त में, या फिर बहुत मामूली कीमत
में मौजूद हैं जिन्हें आप पल भर में डाउनलोड कर सकते हैं. लेकिन फोन कंपनी
ने अगर किसी app को सॉफ्टवेयर के साथ जो़ड़कर फोन में डाल दिया है तो इससे
छुटकारा पाना मुश्किल होता है. इसलिए फोन के Menu में जाकर देखें, अगर
आपको बहुत से ऐसे फालतू App नज़र आते हैं जिनकी आपको जरूरत नहीं है तो फिर
उस फोन से ही छुटकारा पाएं.
3G- है कि नहीं जी .
स्मार्टफोन की जान है इंटरनेट और इंटरनेट
अगर घिसट-घिसटकर चले तो क्या फायदा! देखें की किस फोन में आपके बजट के भीतर
3G मिल रहा है. अगर फोन में HSPA+ भी हो तो और भी अच्छा. ये 3G से भी कुछ
तेज चलता है. इसी तरह, ज्यादातर फोन में ब्लूटूथ तो होता ही है. लेकिन
आपको पता होना चाहिए की सबसे लेटेस्ट है- ब्लूटूथ 4 जिससे डाटा तेजी से
ट्रांसफर होता है और बैट्री भी कम खर्च होती है.
स्पीकर साफ और तेज आवाज .
फोन
कोई भी हो, उसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल बात करने के लिए ही होता है. साफ
आवाज के बारे में पढकर पता करना मुश्किल है. इसलिए फोन खरीदने से पहले किसी
से बात करके देखें कि आपको और दूसरी तरफ सुनने वाले को आपकी आवाज बिना
शोरगुल के साफ सुनाई दे रही है या नहीं. हो सके तो स्पीकर तेज आवाज पर
बजाकर देखें. कहीं ऐसा तो नहीं कि वीडियो देखते हुए भी कान फोन से ही लगाए
रहना पड़े.
इसी तरह, फोन की मजबूती, उसकी बनावट का बहुत कुछ
अंदाजा आपको फोन को हाथ में लेकर देखने से ही हो जाएगा. अगर कोई फोन हाथ
में पकड़ने से ही कमज़ोर और सस्ता दिखता है तो इसका मतलब है वो कमज़ोर ही
होगा.
अंत में सबसे काम की बात - After Sales Service.
नये
में तो हर फोन मज़ेदार लगाता है. असली परख तो तब होती है जब फोन खराब होता
है और आपको Service Center के चक्कर लगाने होतें हैं. अच्छे ब्रांड और
सस्ते में सबकुछ देने वाले गुमनाम कंपनियों का फर्क तभी पता चलता है. सिर्फ
ब्रांड के नाम पर किसी फोन के लिए अनाप शनाप कीमत देना तो ठीक नहीं, लेकिन
ये जरूर देख लें कि जो फोन आप खरीद रहे हैं उसका Service Center आपके घर
या दफ्तर से कितनी दूर है. अगर आप छोटे शहर में रहते हैं तो जाने माने
ब्रांड पर ही जाएं क्योंकि छोटी कंपनियों का सेंटर वहां होगा नहीं और दूसरे
शहर जाकर फोन ठीक कराना लगभग असंभव है.